गरमा गरम जलेबियाँ (Jalebi) सभी को बहुत पसन्द आती है. आमतौर पर ये मैदा या चावल के आटे (Rice floor) से ही बनायी जातीं है पर मध्यप्रदेश के कुछ शहरों में मावे की जलेबी (Mawa Jalebi) भी बनायीं जातीं है. अगर यह जलेबियाँ घर में बनी हो तो और भी अधिक स्वादिष्ट हो जाती हैं. हम आज यहां मैदा की जलेबी (Jalebi) बनायेंगे.
दक्षिण भारत की खास मिठाई मैसूर पाक़ को किसी भी स्पेशल अवसर या किसी भी त्यौहार पर बनाया जा सकता है. मावा और पानी न होने की वजह से मैसूर पाक की सैल्फ लाइफ बहुत अधिक है.
गुलाब जामुन (Gulab Jamun Recipe) यह उत्तर भारत की मिठाई है. यह मिठाई मुझे सबसे अधिक प्रिय है, गुलाब जामुन मावा में थोड़ा सा मैदा डालकर बनाये जाते हैं, मावा और पनीर को मिला कर भी गुलाब जामुन बनाते हैं. दोनों तरीके से गुलाब जामुन अच्छे बनते हैं, आज हम गुलाब जामुन (Gulabjamun) मावा और पनीर मिला कर बनायेंगे, तो आइये जल्दी से शुरू करते हैं, गुलाब जामुन बनाना.
मालपुआ (Malpua) उत्तर भारत में बनायी जाने वाली रैसिपी है. ये बहुत ही स्वादिष्ट होते है और इन्हैं बनाने का तरीका बहुत आसान है.
मालपुआ को रबड़ी या खीर के साथ भी खाते है, इन्हैं खीरपूआ भी कहा जाता है, राजस्थान में मालपुआ में मावा मिलाकर मावा मालपुआ (Mawa Malpua) भी बनाते हैं. आईये हम आज मालपुआ (Malpua) बनायें
लौकी की खीर (Lauki Ki Kheer) एक बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक स्वीट डिश है जिसे लोग ख़ास मौके पर बनाना पसंद करते है, लौकी की खीर को व्रत के दिनों के लिये भी एक बहुत ही अच्छा और हेल्थी ऑप्शन माना जाता है, यह खीर काफी कम समय में आसानी से बनाकर तैयार की जाने वाली डिश है। लौकी की खीर बच्चों और बड़ो सभी लोगो के लिए भी काफी फायेदमंद होती है
मोहन थाल बेसन मावा और ड्रायफ्रूट्स से बनने वाली एक पारम्परिक मिठाई है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण जी को यह मिठाई बहुत प्रिय थी. इस मिठाई को बनाना बड़ा ही आसान है, तो आइये आज हम मोहन थाल मिठाई (Mohan Thal Recipe) बनायें.
बासून्दी उत्तर भारतीय रबड़ी की तरह से ही दूध को एकदम गाड़ा करके और इसमें सूखे मेवे, नटमेग पाउडर और केसर मिला कर बनाई जाती है. इसे हम होली, दीपावली, दशहरा, नवरात्रि जैसे किसी भी त्यौहार पर बना कर परोस सकते हैं.
सावन और राखी के त्यौहार की विशेष मिठाई घेवर (Ghevar Sweet) है. हम तो अपने देश में है इसलिये हमें घेवर आसानी से मिल जाता है, लेकिन जो देश से बाहर है, उन्हें घेवर मुश्किल से मिलता है घेवर आप घर पर भी बना सकते है, दिखने में एसा लगता है कि इसे बनाना मुश्किल होगा लेकिन है बड़ा आसान. आईये हम आज घेवर बनायें
आप बचपन से ही मां और दादी के हाथ का बना मगद या बेसन के लड्डू (Besan Ke Laddoo) तो खाते आ रहे होंगे! इनकी बात ही कुछ और होती है. बेसन के लड्डू (Besan Ke Ladoo) एसी मिठाई है जो घर में बनाकर एअर टाइट कन्टेनर रख दें तो 2 महिने तक खाई जा सकती है और इन्हैं बनाना भी आसान है, तो आइये बनाते हैं बेसन के लड्डू.
हमारे यहाँ न्यू मदर के लिये, उसकी हैल्थ को ध्यान में रखते हुये, कई प्रकार के खाने बनाकर दिये जाते है, जैसे गोंद के लड्डू (gond ke laddu), हलीम के लड्डू, गोंद का पाग (godn ak pag recipe), मखाने का पाग (Makhane ka pag), नारियल का पाग, हरीरा (Harira Recipe) और खास पंजीरी जिसमें कमरकस (Butea Gond) डाला जाता है, कमरकस जच्चा को डिलीबरी के बाद उसकी मांसपेसियों की रिकवरी करने के लिये बहुत लाभदायक होता है.
जब बच्चा 6 महिने का हो जाता है तब उसे ठोस आहार देना शुरू कर दिया जाता है, उस बच्चे को सूजी की खीर बनाकर खिलाइये, यह पौष्टिक खाना बहुत जल्द बन जाता है और बच्चा इसके स्वाद को पसन्द भी करता है.
बड़े हों या बच्चे सभी को सूजी की खीर पसन्द आयेगी. यह तुरन्त बहुत ही कम समय में बन जाती है. सूजी की गरमा गरम खीर सर्दियों में तो और भी ज्यादा अच्छी लगती है.
मथुरा के पेड़े (mathura ka peda) से अच्छे और स्वादिष्ट पेड़े दुनियां भर में कहीं भी नहीं मिलते. आप यदि पारम्परिक मथुरा जी के पेड़े (Mathura ke Pede) का एक टुकड़ा भी चखते हैं तो कम से कम चार पेड़े से कम खाकर तो रह ही नहीं पायेंगे. आईये आज मथुरा जी के पेड़े (Mathura Peda Recipe) बनाते हैं
इस बार होली पर गुझिया के साथ साथ और क्या बनाने जा रहे हैं?. आप इस बार होली के लिये बनाने वाली मिठाईयों में मावा के पेड़े को भी शामिल कर सकते हैं. सारी मिठाईयों में इन्हें बनाना शायद सबसे आसान है.
मावा के पेड़े बनाने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है मावा (Mawa or Khoya) का अच्छी तरह भूना जाना.
क्या आप काजू कतली (kajoo katli burfi ) पसन्द करते हैं? बाज़ार में काजू कतली केवल वर्क लगी हुई मिलती है.
चूंकि कथित "चान्दी का वर्क" नान-वेजीटेरियन श्रेणी में आता है इसलिये सभी परिवारों में इसे खाया नही जाता. मुझे तो काजू कतली (kaju katri) केवल घर पर बना कर खिलाना ही पसन्द है. इसे बनाना बहुत ही आसान है. आईये आज काजू कतली ( kajoo katli) बनायें.
बूंदी बनाने के लिये छेद वाले झविया (कलछी) का प्रयोग किया जाता है. झावे के छेद जितने छोटे या बड़े होते हैं बूंदी भी उसी के हिसाब से छोटी या बड़ी बनती है. बूंदी बनाने के लिये सादा बारीक बेसन ही काम में लाया जाता है.
बूंदी को चाशनी में नहीं डाला जाय तब इस फीकी बूंदी को रायता बनाने के काम में लेते हैं. फीकी बूंदी में मसाला और मूंगफली के दाने और सेव इत्यादि मिला कर बूंदी की नमकीन बनाते हैं. बारीक बूंदी बनाकर मोतीचूर के लड्डू बनाये जाते है. लेकिन आज हम सिर्फ मीठी बूंदी बना रहे हैं.
चमचम बंगाली ट्रेडिशनल मिठाई है, चमचम को छैना रसगुल्ले की तरह ही ताजा छैना बनाकर बनाया जाता है, लेकिन चमचम को उबालने के बाद ठंडा करके इसमें मनचाही स्टफिंग भरते हैं चमचम का स्वाद छैना रसगुल्ले से भी अच्छा होता है.
बंगाली रसगुल्ले ताजा छैना में अरारोट डालकर बनाये जाते हैं और बिना अरारोट डाले भी. अरारोट डालकर बने छैना रसगुल्ले थोड़े कम स्पंजी होते हैं, लेकिन स्वाद में बहुत जबर्दस्त. छैना में बिना अरारोट डाले बनाये गये रसगुल्ले अधिक स्पंजी होते हैं. आज हम बिना अरारोट डाले बंगाली स्पंज रसगुल्ले बनायेंगे लेकिन समय बचाने के लिये इन्हें कुकर के अन्दर उबाल कर बनायेंगे.
राजभोग बिलकुल स्पंज रसगुल्ले की तरह ही बनाया जाता है, फर्क इतना है कि इसके के अन्दर सूखे मेवे की स्टफिंग भरी होती है, और साइज में राजभोग थोड़ा बड़ा होता है. राजभोग में हम केसर मिला कर केसरिया राजभोग (Kesari Rajbhog) भी बना सकते हैं.